कंप्यूटर का इतिहास क्या है? इस कंप्यूटर श्रंखला में हमने अपनी पिछली पोस्ट में आपको कंप्यूटर का आविष्कार और कंप्यूटर की जनरेशन के बारे में विस्तार से बताया था और आज हम आपको कंप्यूटर के इतिहास के बारे में बताने जा रहे है.
कंप्यूटर नामक जिस मशीन का इस्तेमाल आज घर-घर तथा ऑफिस में किया जाता है! क्या आप जानते हैं इसका आविष्कार Emails भेजने, डाक्यूमेंट्स बनाने या मनोरंजन हेतु नहीं बल्कि जटिल गणितीय संख्याओं को सुविधाजनक रूप से सुलझाने के उद्देश्य से हुई थी.
लेकिन समय के साथ कंप्यूटर मशीन को बेहतर बनाया गया और आज इसका प्रयोग जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में देखा जा सकता है. प्रायः जब बात होती है कंप्यूटर के इतिहास की तो आमतौर पर लोगों को सिर्फ इतना मालूम होता है चार्ल्स बेबेज़ ने वर्तमान कंप्यूटर की नींव रखी थी.
लेकिन यदि आप कंप्यूटर टेक्नोलॉजी में रुचि रखते हैं या इस क्षेत्र में कुछ आगे करना चाहते हैं तो आपका कंप्यूटर का इतिहास के बारे में भी जानकारी रखना ज्ञानवर्धक साबित होगा.

कंप्यूटर का इतिहास Abacus का आविष्कार
कंप्यूटर के विकास क्रम की शुरुआत आज से लगभग 400 वर्ष पूर्व चीन में अबेकस नामक पहली मैकेनिकल मशीन के आविष्कार के साथ हुई. जिसकी सहायता से बड़ी-बड़ी संख्याओं की गणना की जा सकती थी.
बता दें मनुष्य को अपने पहले कैलकुलेटर को बनाने में काफी समय लगा, क्योंकि इस मशीन की आवश्यकता उसे तब महसूस हुई जब उसे अक्सर बड़ी बड़ी गणनाएं करने में काफी समय लग जाता था.
इसी के समाधान हेतु अबेकस नामक इस मशीन में गणना हेतु मोतियों की छड़ का इस्तेमाल किया गया था जिसका डिजाइन वर्तमान केलकुलेटर से काफी अलग था. जटिल गणनायें करने वाली इस मशीन को दुनिया की पहली कंप्यूटर मशीन भी माना जाता है.
लेकिन यह मशीन गुणा (Multiply) एवं विभाजन (Divide) का कार्य नहीं कर पाती परंतु इसका कंप्यूटर के विकास क्रम में मुख्य योगदान रहा.
Napier’s Bones
अबेकस के बाद गणना करने वाले एक नए तंत्र का आविष्कार किया गया जिसका नाम नेपियर बोंस रखा गया. 1600 ईसवी में सर जॉन नेपियर द्वारा इस डिवाइस को बनाया गया
इस कैलकुलेटिंग मशीन में छड़ों का उपयोग किया जाता था जिन्हें बोंस कहा जाता था. हाथी के दांत से बने इन बोंस के माध्यम से बनी नेपियर बोंस मशीन (जोड़, गुणा, भाग) करने में सक्षम थी.
नेपियर बोंस एक रैक्टेंगुलर छठ के सेट से बनाई गई थी जिसमें एक सेट में 11 छड़ होती थी.
पास्कलाइन का आविष्कार
ब्लेज़ पास्कल फ्रांस के एक गणितज्ञ थे, जिनके द्वारा इस कैलकुलेटिंग मशीन का आविष्कार किया गया था. मात्र 19 वर्ष की आयु में ब्लेज़ पास्कल ने एक ऐसे कैलकुलेटर मशीन का आविष्कार किया जो संख्याओं को जोड़ने एवं घटाने का कार्य कर सकती थी.
अबेकस की तुलना में पास्कलाइन केलकुलेटर अधिक तीव्र गति से कार्य करता था 1642 में अविष्कार की गई इस यांत्रिक मशीन ने आगे जाकर कंप्यूटर के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.
Analytical Engine
पास्कलाइन कैलकुलेटर के आने के बाद से कंप्यूटर के विकास क्रम में सबसे बड़ा परिवर्तन वर्ष 1822 में आया जब कंप्यूटर के जनक चार्ल्स बेबैज ने Analytical Engine नामक एक ऐसे यांत्रिक कंप्यूटर को इजात किया जो पहले के अन्य कैलकुलेटर्स की तुलना में बेहतर कार्य करने में सक्षम था.
इसलिए चार्ल्स बैबेज को आज के कंप्यूटर की नींव रखने का भी श्रेय दिया जाता है. क्योंकि एनालिटिकल इंजन एक ऐसा कंप्यूटर का जिसके आधार पर आज के आधुनिक कंप्यूटर का निर्माण होता है.
Analytical engine की एक विशेषता यह थी कि यह संख्याओं की गणना करने के साथ-साथ नंबर्स को भी स्टोर करती थी.
कैलकुलेशन करने के लिए इस मशीन में punched metal cards का उपयोग होता था.
अपने जीवन में चार्ल्स बैबेज कंप्यूटर मशीन को और बेहतर बनाने की ओर कार्य कर रहे थे, वर्ष 1937 में वे चाहते थे कि एक ऑटोमेशन कंप्यूटर बनाए जा सके लेकिन धन की कमी के कारण वे अपने इस आविष्कार को पूर्ण नहीं कर पाए.
लेकिन उनके इस अद्भुत आविष्कार के बाद से आने वाले वर्षों में आर्टिफिशियल मेमोरी& programs के साथ कंप्यूटर को कैलकुलेशन के लिए ही नहीं बल्कि अन्य अनेक कार्यों को करने के लिए बनाया गया.
First Generation Electronic Computer
वर्ष 1947 में पेंशनवेलिया University द्वारा दुनिया के पहले कंप्यूटर का आविष्कार किया गया. यह इलेक्ट्रॉनिक कंप्यूटर री-प्रोग्रामिंग के जरिए बड़े-बड़े न्यूमेरिकल्स को सॉल्व करने में सक्षम था.
Vacuum Tubes
पहली जनरेसन के इलेक्ट्रॉनिक कंप्यूटर को चलाने के लिए वैक्यूम ट्यूब का इस्तेमाल किया गया. इन ट्यूब्स के अंदर सर्किट होते हैं. और ट्यूब्स के अंदर हवा प्रवेश नहीं कर सकती थी. जिससे सर्किट को कोई नुकसान नहीं पहुंचता था यही वजह है कि उस समय तक वेक्यूम ट्यूब का इस्तेमाल कंप्यूटर्स में किया जाता था.
UNIVAC – 1951
इसी प्रकार आने वाले सालों में दुनिया का पहला कमर्शियल कंप्यूटर यूनीवैक कंप्यूटर मार्केट में आया. इसके बड़े आकार की वजह से इसे बिग पॉकेट कंप्यूटर भी कहा था, Univac कंप्यूटर की कीमत उस समय मार्केट में काफी ज्यादा थी.
ट्रांजिस्टर
वर्ष 1950 से पहली पीढ़ी के कंप्यूटर्स में वेक्यूम ट्यूब का उपयोग होता था. वहीं वर्ष 1956 के बाद जब कंप्यूटर की दूसरी पीढ़ी शुरू हुई तो उनमें ट्रांजिस्टर का उपयोग देखा गया. हालांकि ट्रांजिस्टर को वर्ष 1948 में ही विकसित किया गया था.
कंप्यूटर के विकास क्रम में ट्रांजिस्टर का आविष्कार अत्यंत क्रांतिकारी रहा, इसलिए इसके आविष्कारक को नोबेल प्राइज से भी सम्मानित किया गया.
वेक्यूम ट्यूब की तुलना में ट्रांजिस्टर का आकार छोटा था साथ ही इनमें on/off स्विच ऑफ होता था.
IC (Integrated Circuits)
जब तीसरी पीढ़ी के कंप्यूटर की शुरुआत हुई तो इसमें IC अर्थात Integrated Circuits का इस्तेमाल किया गया. ट्रांजिस्टर की तुलना में IC का आकार काफी छोटा होने के साथ ही यह Heat भी कम उत्पन्न करते थे.
जिस वजह से इस टेक्नॉलजी के आने के साथ कंप्यूटर का जो आकार था वह भी काफी कम हो गया बता दें transistors, resistors, और capacitors जब एक साथ जुड़ जाते हैं तो एक IC कार्य करता है.
कंप्यूटर का इतिहास भारत में
भारत में कंप्यूटर की शुरूआत वर्ष 1950 से हुई! TIFRAC भारत में विकसित पहला कंप्यूटर था हालंकि इसके विकास कार्य की शुरुआत वर्ष 1955 में हो चुकी थी. और वर्ष 1959 में इसे विकसित कर लिया गया.
इस कंप्यूटर को भौतिक समस्याओं को Solve करने के साथ साथ परमाणु ऊर्जा में भी स्थापित करने के लिए डिजाइन किया गया था. हालांकि कंप्यूटर की जनरेशन की तरह भारत में भी कंप्यूटर के विकास को अलग-अलग फेस से गुजरना पड़ा! वर्ष 1984 में जब राजीव गांधी प्रधानमंत्री बने, उसके बाद भारत में mini computers को निजी क्षेत्र द्वारा बनाने की अनुमति देता मिल गई.
और चौथा फेस वर्ष 1991 है, जब वैश्वीकरण की नीति अपनाने के बाद भारत में कंप्यूटर का उपयोग और इस क्षेत्र में विस्तार तेजी से देखा गया.
निष्कर्ष
हमें आशा है कंप्यूटर का इतिहास और विकास के टॉपिक को पढ़ने के बाद आपने कंप्यूटर के इतिहास को और करीब से समझने की कोशिश की होगी. अगर आपको इस आर्टिकल में दी गई जानकारी पसंद आए तो आप इसको शेयर करके दूसरो की भी यह जानकारी पाने में उनकी मदद अवश्य करें.