समय अनुसार कंप्यूटर में बड़े परिवर्तन देखे गए हैं जिससे कंप्यूटर अधिक बेहतर एवं विकसित होता गया है! और कंप्यूटर की जनरेशन को अध्ययन करके यह पता लगाया जा सकता है, की कंप्यूटर मशीन में समय के साथ कब क्या सुधार हुआ.
इससे पहले हम आपको कंप्यूटर क्या है, कंप्यूटर का आविष्कार किसने किया, यह बता चुके हैं. लेकिन आज हम इसकी हिस्ट्री को डिटेल से समझने के लिए जनरेशन ऑफ कंप्यूटर हिंदी में के बारे में पड़ेंगे.
इसलिए इस लेख में हम आपको कंप्यूटर की सभी जेनरेशंस के बारे में विस्तार से बताने वाले हैं जिससे आपको कंप्यूटर के डेवलपमेंट और इस में आए बदलाव को समझने में मदद मिलेगी.
क्या आप जानते हैं आज से लगभग 75 वर्ष पूर्व कंप्यूटर की पहली जनरेशन की शुरुआत हो चुकी थी और वर्तमान में कंप्यूटर की पांचवी जनरेशन कार्य कर रही है.
पहली जनरेशन के कंप्यूटर के आकार, डिजाइन और फंक्शनैलिटी की यदि आप आज के कंप्यूटर से तुलना करें तो आप पाएंगे इसमें जमीन और आसमान का फर्क है.

फर्स्ट जनरेशन ऑफ कंप्यूटर (1940 – 1956)
1940 से लेकर 1956 के बीच का समय कंप्यूटर्स की पहली जनरेशन के रूप में जाना जाता है, इस पीढ़ी के दौरान जितने भी कंप्यूटर्स को विकसित किया गया उन सभी में वेक्यूम ट्यूब या फिर thermionic valve machine. का उपयोग होता था.
तकनीकी रूप से कम कुशल होने के कारण इन कंप्यूटर से बिजली की खपत अधिक होती थी. साथ ही चलने के दौरान यह Heat अधिक प्रोड्यूस करते थे जिससे इलेक्ट्रिसिटी Cut की अधिक संभावनाएं होती थी.
प्रथम पीढ़ी के कंप्यूटर, कंप्यूटर की सबसे सबसे Basic लैंग्वेज मशीन लैंग्वेज में कार्य करते थे! इनपुट के लिए इनमें punched cards और paper tape का उपयोग होता था वहीं आउटपुट प्रिंटआउट के रूप में देखा जाता था.
आज के कंप्यूटर्स की तुलना में इन कंप्यूटर्स का आकार काफी अधिक होता था. इन्हें Store करने के लिए किसी रूम की आवश्यकता पड़ती थी, साथ ही इन्हें चलाने में जो लागत आती थी वह भी काफी अधिक थी.
इस जनरेशन के दो प्रसिद्ध कंप्यूटर्स में UNIVAC and ENIAC machines – का नाम आता है.
सेकंड जनरेशन ऑफ कंप्यूटर (1956 – 1963)
Computer के विकासक्रम में1956 के बाद से computers में वेक्यूम ट्यूब का स्थान ट्रांजिस्टर ने ले लिया जिसे कंप्यूटर की दूसरी पीढ़ी भी कहा जाने लगा.
ट्रांजिस्टर का आविष्कार वर्ष 1947 में हो चुका था परंतु इनका इस्तेमाल 50 के दशक के बाद से किया गया वेक्यूम ट्यूब की तुलना में ट्रांजिस्टर का उपयोग अत्यंत लाभदायक था.
क्योंकि इससे computer का आकार न सिर्फ कम हो गया बल्कि इनकी स्पीड और इनकी कीमत में भी कमी आई.
हालांकि वैक्यूम ट्यूब्स की तरह ही ट्रांजिस्टर में भी इनपुट आउटपुट का कार्य समान था. परंतु transistor computers इतिहास के ऐसे पहले कंप्यूटर्स थे जो Computer memory में निर्देशों को स्टोर करने का कार्य करने में सक्षम थे.
द्वितीय पीढ़ी के कंप्यूटर में सिंबॉलिक लैंग्वेज पाई गई जिसका अर्थ था कंप्यूटर प्रोग्रामर इस भाषा की मदद से शब्दों में निर्देशों को Create कर सकते थे.
थर्ड जनरेशन ऑफ कंप्यूटर (1964 – 1971)
कंप्यूटर की तीसरी पीढ़ी में भी transistors का उपयोग होता रहा, लेकिन का पीढ़ी तक आते-आते इन ट्रांजिस्टर का आकार काफी कम हो गया तीसरी जनरेशन के कंप्यूटर्स में ट्रांजिस्टर को सिलिकॉन की चिप के तौर पर इस्तेमाल किया गया जिस अविष्कार ने कंप्यूटर के क्षेत्र में क्रांति लाने का कार्य किया.
तीसरी पीढ़ी के कंप्यूटर को integrated circuit (IC Technology) के द्वारा निर्मित किया गया था. यह कंप्यूटर्स Heat कम produce करने के साथ-साथ बिजली की खपत भी कम करते थे.
आज हम जिन मॉडर्न कंप्यूटर का इस्तेमाल करते हैं उनमें कीबोर्ड तथा मॉनिटर एवं एक ऑपरेटिंग सिस्टम होता है. असल में इसकी शुरुआत तीसरी जनरेशन के कंप्यूटर्स के साथ हो चुकी थी.
जिस वजह से computer के input output के तरीकों में भी अब बदलाव आ चुका था जिसका फायदा यह हुआ कि कंप्यूटर एक बारी में कई सारी एप्लीकेशन को करने में सक्षम हो पाया.
इनोवेशन ने एक बार फिर से दूसरी पीढ़ी की तुलना में कंप्यूटर्स के आकार में कमी लाने का कार्य किया. कंप्यूटर्स पहले से अधिक कुशल होने के साथ-साथ सस्ते हो गए, जिस वजह से कंप्यूटर की पहुंच लोगों तक तेजी से बढ़ने लगी.
फोर्थ जनरेशन ऑफ कंप्यूटर (1972 – 2010)
1972 के बाद से फिर से कंप्यूटर तकनीक में और अधिक परिवर्तन देखने को मिला अब कंप्यूटर्स का आकार काफी कम हो गया जिससे इन्हें पोर्टेबल कंप्यूटर्स की संज्ञा दी गई.
चौथी पीढ़ी के कंप्यूटर में माइक्रो प्रोसेसर का इस्तेमाल किया गया. जिस वजह से कंप्यूटर्स के सभी मुख्य कंपोनेंट्स जैसे सीपीयू, मेमोरी तथा इनपुट आउटपुट कंट्रोल्स एक ही चिप में समाहित हो गए.
परिणाम यह हुआ कि जहां 1940 के दशक में कंप्यूटर को स्टोर करने के लिए एक कमरे की आवश्यकता पड़ती थी वहीं कंप्यूटर हाथों में फिट हो चुका था.
1981 में जब घरेलू उपयोग के लिए दुनिया का पहला होम कंप्यूटर IBM लांच किया गया इसके 3 वर्षों बाद ही एप्पल ने मार्केट में अपना मैकिनटोश लॉन्च कर दिया.
Microprocessor की इस Technology ने इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स को एक नई दिशा दी, आज हम विभिन्न प्रकार के इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों में माइक्रो प्रोसेसर का उपयोग देख सकते हैं.
चौथी generation के इन कंप्यूटर्स ने internet के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया समय के साथ जिस तरह पोर्टेबल कंप्यूटर का उपयोग बढ़ता गया तो दिमाग में ख्याल की इन computers को एक दूसरे से लिंक करके एक नेटवर्क तैयार किया जा सकता है.
इसके अलावा चौथी जनरेशन के कंप्यूटर में GUI ( ग्राफिकल यूजर इंटरफेस) में भी काफी सुधार हुआ इसलिए कंप्यूटर के इतिहास में चौथी जनरेशन अत्यंत महत्वपूर्ण रही कंप्यूटर की यह चौथी पीढ़ी वर्ष 2010 तक चली.
फिफ्थ जनरेशन ऑफ कंप्यूटर (2010 से लेकर वर्तमान में)
2010 के बाद से कंप्यूटर्स की एक नई पीढ़ी आई जिसे पांचवी पीढ़ी के तौर पर संबोधित किया गया यह artificial intelligence पर जोर देती है हालांकि अभी भी इस टेक्नोलॉजी के विकास पर कार्य हो रहा है.
लेकिन इसी टेक्नोलॉजी के कुछ जीते जागते उदाहरण जैसे Voice of recognition जिसे वर्तमान में हम उपयोग करते हैं.
संक्षेप में कहा जाए तो अब तक के कंप्यूटर्स की सभी पीढ़ियों में जहां हार्डवेयर के विकास एवं इंप्रूवमेंट में ध्यान दिया गया वहीं अब सॉफ्टवेयर को भी एडवांस लेवल पर लाने की तैयारी डेवलपर्स कर रहे हैं.
पांचवी पीढ़ी के कंप्यूटर की कैपेसिटी तथा मेमोरी काफी अधिक होती है, जो मल्टीपल टास्क को आसानी से हैंडल करने योग्य होते हैं.
अंत में हम यह उम्मीद कर सकते कि इस पीढ़ी के अंत तक कंप्यूटर नामक यह मशीन मनुष्य के कार्यों को पहले से अधिक तीव्रता कुशलता एवं सरलता पूर्वक करेगी.
साथियों इस लेख में अपने जनरेशन ऑफ कंप्यूटर के बारे में जाना और पड़ा, और समझा कि आज के मॉडर्न कंप्यूटर तक आने के लिए कंप्यूटर्स को किन-किन पीढ़ियों से गुजरना पड़ा! आशा है इस लेख को पढ़ने के बाद आपको कंप्यूटर की जनरेशन का ज्ञान आपको मिल चुका होगा यदि यह जानकारी आपको पसंद आए तो इसको शेयर भी कर दो.
Thank you mam