चलिए ऑपरेटिंग सिस्टम के कार्य के बारेमे विस्तार रूप से जानते हें। गभग हर डिवाइस में ऑपरेटिंग सिस्टम मौजूद होता ही है, जो कंप्यूटर, लैपटॉप अथवा स्मार्टफोन के लिए बहुत ही आवश्यक होता है।ऑपरेटिंग सिस्टम डिवाइस और हार्डवेयर के बीच एक बिचौलिए की तरह काम करता है।

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि आपके पास यह जो स्मार्टफोन अथवा कंप्यूटर मौजूद है यह ऑपरेटिंग सिस्टम पर ही काम करता है हालांकि इनके ऑपरेटिंग सिस्टम अलग-अलग हो सकते हैं।

क्योंकि दुनिया में विभिन्न प्रकार के ऑपरेटिंग सिस्टम मौजूद हैं। जिस प्रकार से डिवाइस के लिए दूसरी चीजें आवश्यक होती है उसी प्रकार से ऑपरेटिंग सिस्टम भी आवश्यक होता है, क्योंकि जब कोई कंप्यूटर, लैपटॉप अथवा स्मार्टफोन पावर ऑन होता है।

तो सबसे पहले उसमें ऑपरेटिंग सिस्टम ही लोड होता है और उसके बाद आगे की क्रिया प्रारंभ होती है। इस आर्टिकल में हम आपको “ऑपरेटिंग सिस्टम के मूल कार्य क्या है” की जानकारी दे रहे हैं। उससे पहले ऑपरेटिंग सिस्टम के नाम जरुर पढ़िए।

ऑपरेटिंग सिस्टम के मुख्य कार्य क्या है?

ऑपरेटिंग सिस्टम के एक ही नहीं बल्कि इसके बहुत सारे काम होते हैं। ऑपरेटिंग सिस्टम के द्वारा ही कंप्यूटर चलते हैं और काम करते हैं। अगर किसी कंप्यूटर में ऑपरेटिंग सिस्टम मौजूद ना हो तो इसकी वजह से कंप्यूटर को मैनेज करने में काफी प्रॉब्लम आ सकती है।

operating system ke karya

एग्जांपल के तौर पर अगर हमें कंप्यूटर में किसी फिल्म को देखना है तो हमें उस फिल्म के नाम के ऊपर क्लिक करने की आवश्यकता होगी। जैसे ही हम फिल्म के नाम के ऊपर डबल क्लिक करेंगे वैसे ही हमें वह सिस्टम के माध्यम से प्राप्त हो जाएगी।

जिसकी वजह से फिल्म हमारी स्क्रीन पर चालू हो जाएगी और हम फिल्म देख लेंगे। यह सब ऑपरेटिंग सिस्टम की वजह से ही पॉसिबल हो पाता है, क्योंकि ऑपरेटिंग सिस्टम ही कंप्यूटर के हार्डवेयर को और कंप्यूटर के सॉफ्टवेयर को मैनेज करने का काम करता है।

#1. ग्राफिकल यूजर इंटरफेस

कंप्यूटर का इस्तेमाल करने वाले व्यक्ति ने कभी ना कभी ग्राफिकल यूजर इंटरफेस और कमांड लाइन इंटरफेस के बारे में अवश्य सुना होगा। यह दोनों इंटरफ़ेस अलग-अलग होते हैं। इन दोनों ही इंटरफेस का इस्तेमाल कंप्यूटर को चलाने के लिए अर्थात कंप्यूटर को ऑपरेट करने के लिए होता है।

पहले जो कंप्यूटर आते थे उसमें कमांड लाइन इंटरफेस मौजूद होता था जो काफी ज्यादा टिपिकल माने जाते थे क्योंकि उन्हें कमांड करना थोड़ा सा मुश्किल हो जाता था क्योंकि उस टाइम पर हर बार अलग-अलग तरह के कोड लिखे गए होते थे।

हालांकि वर्तमान के समय में जो ऑपरेटिंग सिस्टम आते हैं वह काफी सरल है क्योंकि वर्तमान के समय में आने वाले ऑपरेटिंग सिस्टम में मेनू, बार, आईकन मौजूद होता है जो माउस के द्वारा क्लिक करने पर तुरंत ही काम करना स्टार्ट कर देता है।

#2. मेमोरी मैनेजमेंट

कंप्यूटर में प्राइमरी मेमोरी भी होती है और सेकेंडरी मेमोरी भी होती है। प्राइमरी मेमोरी के अंतर्गत रेंडम एक्सेस मेमोरी और रीड ओनली मेमोरी आती है और सेकेंडरी मेमोरी के अंतर्गत सीडी, डीवीडी तथा हार्ड डिस्क जैसी चीजें आती है।

जब हमारे द्वारा किसी कंप्यूटर में सॉफ्टवेयर को स्टार्ट करने का प्रयास किया जाता है तो इसके लिए मेमोरी की जरूरत पड़ती है और मेमोरी को भी मैनेज करने का काम ऑपरेटिंग सिस्टम के द्वारा ही किया जाता है।

#3. सीपीयू मैनेजमेंट

कंप्यूटर को अपने काम को करने के लिए सीपीयू अर्थात सेंट्रल प्रोसेसिंग यूनिट की आवश्यकता पड़ती है। यह ठीक उसी प्रकार का है जैसे हम इंसानों को किसी भी काम को पूरा करने के लिए सोचने समझने की क्षमता दिमाग के द्वारा दी जाती है।

सेंट्रल प्रोसेसिंग यूनिट के द्वारा किसी भी प्रोग्राम को सही प्रकार से चलाने के लिए कंप्यूटर को कैपेसिटी दी जाती है, जोकि ऑपरेटिंग सिस्टम पर ही डिपेंड करता है। सेंट्रल प्रोसेसिंग यूनिट के द्वारा अपनी ऑपरेटिंग सिस्टम के साथ मिलकर के काम किया जाता है और विभिन्न काम को समय पर कंप्लीट किया जाता है।

#4. मेडिएटर का रोल

ऑपरेटिंग सिस्टम कंप्यूटर और यूजर के बीच मेडिएटर अर्थात बिचौलिए की भूमिका निभाता है। ऑपरेटिंग सिस्टम यूजर और कंप्यूटर के बीच ऐसी सिचुएशन क्रिएट करता है ताकि दोनों के द्वारा एक दूसरे की लैंग्वेज को समझा जा सके और काम किया जा सके।

#5. सिक्योर सिस्टम

अधिकतर लोग अपने पर्सनल डाटा को सुरक्षित रखने के लिए उसे कंप्यूटर में स्टोर करके रखते हैं तथा प्राइवेसी के तौर पर रखते हैं क्योंकि लोगों को यह लगता है कि उनका डाटा कहीं किसी के द्वारा चोरी ना कर लिया जाए अथवा लीक ना कर दिया जाए।

इसलिए हर यूजर डाटा की सिक्योरिटी से संबंधित बातों पर विशेष तौर पर नजर बनाए रखता है। इन सभी चीजों को स्पेशल तौर पर ऑपरेटिंग सिस्टम मैनेज करता है और यह ऑपरेटिंग सिस्टम का ही कमाल होता है कि कंप्यूटर में जल्दी से किसी भी डाटा में किसी भी प्रकार की गड़बड़ी नहीं आ पाती है।

#6. फाइल मैनेजमेंट

इस बात से आप भली-भांति परिचित हैं कि किसी भी कंप्यूटर से हमें कई फायदे प्राप्त होते हैं। अगर कंप्यूटर में ऑपरेटिंग सिस्टम मौजूद ना हो तो हमें किसी भी फाइल को कंप्यूटर में ढूंढने में काफी समस्या का सामना करना पड़ेगा अर्थात हमें कंप्यूटर में फाइल को सर्च करने के लिए अधिक समय भी देना पड़ेगा।

परंतु कंप्यूटर में ऑपरेटिंग सिस्टम मौजूद होने की वजह से हमारा यह काम बहुत ही सरल हो जाता है और हम किसी भी फाइल को आसानी से अलग अलग फोल्डर में बना करके रख सकते हैं और जब चाहे तब उन्हें सर्च करके प्राप्त कर सकते हैं और उन्हें देख सकते हैं अथवा उनकी एडिटिंग कर सकते हैं।

#7. डिवाइस मैनेजमेंट

कंप्यूटर को ऑपरेट करने के लिए मॉनिटर, प्रिंटर, कीबोर्ड, माउस, वेबकैम और इसी प्रकार के दूसरे डिवाइस की आवश्यकता पड़ती है। इन सभी डिवाइस को एक दूसरे के साथ जॉइंट करके ऑपरेट करने का काम ऑपरेटिंग सिस्टम के द्वारा ही संपूर्ण किया जाता है।

अगर ऑपरेटिंग सिस्टम इन सभी डिवाइस को सही प्रकार से मैनेज ना करें तो यह डिवाइस काम करना स्टॉप कर सकते हैं।

ऑपरेटिंग सिस्टम के मुख्य काम कितने हैं?

मेमोरी, प्रोसेस, फ़ाइल, डिवाइस, I/O, स्टोरेज, सुरक्षा, नेटवर्किंग, जॉब, कमांड मैनेजमेंट और मॉनिटरिंग।

कंप्यूटर चालू होने पर सबसे पहले क्या लोड होता है?

कंप्यूटर स्टार्ट होने पर सबसे पहले ऑपरेटिंग सिस्टम ही लोड होता है।

मोबाइल चालू होने पर सबसे पहले क्या लोड होता है?

मोबाइल पावर ऑन होने पर सबसे पहले ऑपरेटिंग सिस्टम लोडिंग लेता है।

दुनिया में स्मार्टफोन में सबसे ज्यादा किस ऑपरेटिंग सिस्टम का इस्तेमाल होता है?

एंड्रॉयड ऑपरेटिंग सिस्टम

अंतिम शब्द

इस लेख को पढ़कर आपको कंप्यूटर “ऑपरेटिंग सिस्टम के कार्य क्या है” इस विषय पर पर्याप्त जानकारी मिली होगी, पोस्ट अच्छा लगा हो तो शेयर भी कर दें।

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